
राती घाटी का युद्ध किस-किस के बीच हुआ था? जाने राती घाटी के युद्ध के बारे में विस्तार से: आज हम आपको राती घाटी के युद्ध के बारे में बताएंगे की यह युद्ध किन किन राजाओं को बीच में लड़ा गया और क्यों लड़ा गया । जाने इसके बारे में विस्तार से:
राती घाटी युद्ध किन – किन के बीच लड़ा गया?
राती घाटी युद्ध 1534 में बीकानेर के राजा राव जेतसी और राजा कामरान मिर्जा के बीच हुआ था। राव जेतसी बीकानेर के राजा राव बीका के पोते थे। और वही दूसरी तरफ राजा कामरान मिर्जा राजा बाबर के दूसरी संतान थी।
युद्ध क्यों लड़ा गया?
इस युद्ध के सात साल पहले जब खानवा का युद्ध लड़ा गया था। उस समय ही इस युद्ध की नीव रखी जा चुकी थी। खानवा का युद्ध बाबर और राणा सांगा के बीच लड़ा गया था। जिसमे राणा सांगा की द्वारा सभी राजपूत रियासतों के राजाओं को एक किया गया और फिर उन सब ने मिलकर बाबर से युद्ध किया इस युद्ध में राणा सांगा की हार हुई थी । इस युद्ध में राजपूतों की तरफ से बीकानेर राजा के पुत्र कल्याणमल ने अपनी 3000 सेना के साथ भाग लिया ।
जिसमे उनकी 3000 सेना ने बाबर के पूरे खानों को उड़ा दिया था। तो इसके कारण बाबर को बहुत ज्यादा गुस्सा आ गया था। और उसमें उस टाइम यह प्रण लिया था की जो राजा जयसिंह को मारेगा उसका अगला उतराधिकारी वही होगा तो इसके लिए बाबर अपने दूसरे बेटे को अफगानिस्तान और काबुल की रियासत सौंप देता हैं। तो वह पर सात साल रहकर अपनी एक सेना इकठी करता हैं।
और एक कठोर राजा के रूप में अपना परिचय देता हैं। उसके बाद में वह बीकानेर पर युद्ध करनें के लिए आता हैं। और वो रास्ते में कितनी भी रियासते आती थी उन सब पर कब्जा करता था। फिर आती है बात 26 अक्टूबर 1534 की और यह वो दिन था । जब राती घाटी का युद्ध लड़ा गया जैसे ही राव जेतसी को यह बात पता चली की उन पर आक्रमण होने वाला हैं तब उन्होंने केवल महल में अपने 2500 सैनिक ही रखे और पूरे महल के सैनिकों को और बाकी प्रजा को जंगल में भेज दिया ।
और जब उन पर आक्रमण हुआ तो उन्हे महल में कोई भी नहीं मिला यह युद्ध लगभग 21 घंटो तक चला और उस समय लड़ा जाने वाला यह सबसे बड़ा युद्ध था। दिन का युद्ध तो कामरान जीत चुका था । लेकिन बात आती हैं रात्रि के युद्ध की राव जेतसी यह समझ गए थे की वह यह युद्ध हारने वाले हैं तो इसके लिए वह अपनी सूझबूझ का परिचय देते हैं तब वह बेलों के सिर पर मसाले जलाते हैं।
और उन्हें कामरान मिर्जा की सेना के आगे छोड़ दिया । जिसके कारण कामरान मिर्जा की सेना दर जाती हैं
और उन्हें लगता है की राव जेतसी की सेना ने उन पर आक्रमण किया हैं। और ये बहुत अधिक मात्रा में सेना हैं। इस बीच कामरान मिर्जा का सेनापति मार जाता हैं। जिसके कारण उसकी सेना में एक भय पैदा हो जाता हैं। और सेनापति के मरते ही उसकी सेना भागने का फैसला करती हैं। और लगभग 4:00 बजे कामरान मिर्जा अपनी जान छुड़ाकर बीकानेर से भाग जाता हैं और इस प्रकार राव जेतसी ये युद्ध जीत जाते हैं।
_______लेख समाप्त_______
Share this content: